भिकियासैंण : सांस्कृतिक रामलीला कमेटी ककलासों जीनापानी के छठे दिन सूर्पनखा नासिका छेदन का दृश्य और खर दूषण के भयावह दृश्यों से रामलीला देखने उमड़ा जनसैलाब पूरा पांडाल तालियों से गुंजायमान हो उठा लोग सूर्पनखा के सुन्दर अभिनय और नृत्य से मंत्रमुग्ध हो गए 54 वर्षों बाद पहली बार हो रही रामलीला में समूचे क्षेत्र ककलासो ने ऐसा सूर्पनखा का अभिनय पहली बार देखा और स्थानीय कलाकारों ने भी अपने नृत्य कला से लोगों को तालियां बजाने पर मजबूत कर दिया सांस्कृतिक रामलीला कमेटी ककलासों जीनापानी के मुख्य अतिथि प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय कांग्रेस उत्तराखंड करन महरा ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख भिकियासैंण (प्रशासक) संजय सिंह गड़ाकोटी सांस्कृतिक रामलीला कमेटी ककलासों जीनापानी की 54 वर्षों बाद पुनर्वजीवित रामलीला मंचन एक महत्वपूर्ण शोध का केंद्र बनी हुई है। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के वित्तीय सहयोग से, दिल्ली विश्वविद्यालय का अदिति महाविद्यालय, बवाना, उत्तराखंड की पारंपरिक रामलीलाओं का गहन अध्ययन कर रहा है।इसी क्रम में, डॉ. चंद्रशेखर बधानी और इंद्रजीत सिंह बिष्ट वर्तमान में अल्मोड़ा जिले के ककलासों जीनापानी पहुंचे जहां उन्होंने सांस्कृतिक रामलीला कमेटी ककलासों जीनापानी के पदाधिकारियों एवम् अनुभवी पात्रों तथा दर्शकों से बातचीत की और फोटो वीडियो लेकर उनको संरक्षित किया । अध्यक्ष हेमचंद्र हर्बोला ने कहा कि हमारे क्षेत्र ककलासो और सांस्कृतिक रामलीला कमेटी ककलासों जीनापानी के लिए ये गर्व की बात है कि हमारी रामलीला पर दिल्ली विश्वविद्यालय शोध कार्य कर रहा है ये हमारे क्षेत्र के लिए सम्मान की बात है। वही कोषाध्यक्ष सुरेश सिंह असवाल ने कहा कि हमारे क्षेत्र ककलासो में ये पहली बार है कि कोई महिला पात्र सूर्पनखा का अभिनय कर रही है । हमारे क्षेत्र ककलासो जीनापानी में सूर्पनखा नासिका छेदन का मनमोहक दृश्य लोगो को बहुत पसन्द आया रामलीला देखने के लिए लगातार जनसैलाब उमड़ रहा है।